Tuesday, September 1, 2020

हैं कमल हरे-भरे

हैं कमल हरे-भरे

हैं क़लाम डरे-डरे

ज़रा देखो तो

किस को किस की ख़बर 

इक रात होके निडर

ज़रा सोचो तो


बात कही

गुपचुप ही कही

जब भी कही

कही दबकर 

और इससे बड़ा नहीं 

कोई अपराध 

तू जाने ना


विरोध में है 

जीवन की खुशी

देती है खुशी 

कई ग़म भी

तू मान भी लें 

कभी हार

मैं मानूँ ना


(कैफ़ी आज़मी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 22 अगस्त 2020 । सिएटल

https://www.youtube.com/watch?v=fWt9Dzv2Qo0 


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