कवि ज़ूम ज़ूम करे
तड़पाए
बक बक बक करे,
सर खाए
एक बात कभी अक्कल की
कवित्त में नज़र न आए
तेरी झोली डारूँ,
सब गाली हाथ जो आए
तेरे पीछे खोए
जो घण्टे लौट के न वो आए
जिस धुन को चुना तूने
उससे सर मैं धुनाऊँ
जिस घड़ी हाथ आया तेरे
उसे कैसे भुलाऊँ
और मेरा व्हाट्सेप,
तेरी पोस्ट से भर-भर जाए
ये ऐसी बीमारी,
कि मैंने नेट लिए कटवाए
(गुलज़ार से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 25 सितम्बर 2020 । सिएटल
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वाह
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