मत आ प्रिये कि फिर ये हसीं रात हो न हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो
हमको मिली हैं आज ये घड़ियाँ ज़ूम पे
जी भर के देख लीजिये हमको दूर से
फिर आपके नसीब में ये बात हो न हो
दूर रहिए वरना हम हो जाएँगे बीमार
बुखार में तड़प के हम रोए ज़ार-ज़ार
आँखों में फिर ये प्यार के जज़्बात हो न हो
(राजा मेहंदी अली खान से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 6 सितम्बर 2020 । सिएटल
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वाह
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