Tuesday, September 22, 2020

मैं कहीं कवि न बन जाऊँ

मैं कहीं कवि न बन जाऊँ तेरे प्यार में ऐ कविता


तुझे डी-पी के आईने में मैंने बार-बार देखा

तेरे स्टेटस में देखा तो छलकता प्यार देखा

तेरा टेक्स्ट मैंने देखा तो जिगर के पार देखा


तेरा ब्लॉग है सलोना तेरी पोस्ट में कसक है

तेरे वीडियो में है जादू तेरे बोल में खनक है

तेरी हर अदा मुहब्बत तू यूट्यूब की धनक है


मेरा दिल लुभा रहा है तेरा रूप सादा सादा

ये झुकी-झुकी निगाहें करे प्यार और ज़्यादा 

ये जग ये भाँप लेगा, है यही डर सताता


(हसरत जयपुरी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 21 सितम्बर 2020 । सिएटल 

धनक = इन्द्रधनुष 

https://youtu.be/_8V8XYB5YsA 


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