कली तो गुलशन में खिली रहती है
आजकल के नेताओं का ऐसा बुरा हाल है
इन्हें तो ट्वीटर की लगी रहती है
आजकल के कवियों का ऐसा बुरा हाल है
इन्हें तो फ़ेसबुक की लगी रहती है
आजकल की फ़िल्मों का ऐसा बुरा हाल है
इन्हें तो ओ-टी-टी की लगी रहती है
आजकल के बूढ़ों का ऐसा बुरा हाल है
इन्हें तो व्हाट्सएप की लगी रहती है
आजकल के बच्चों का ऐसा बुरा हाल है
इन्हें तो इन्स्टाग्राम की लगी रहती है
आजकल के संतों का ऐसा बुरा हाल है
इन्हें तो यूट्यूब की लगी रहती है
आजकल के भक्तों का ऐसा बुरा हाल है
इन्हें तो प्रसाद की लगी रहती है
आजकल के डॉक्टरों का ऐसा बुरा हाल है
इन्हें तो फ़ीस की लगी रहती है
राहुल उपाध्याय । 17 सितम्बर 2020 । सिएटल
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