Wednesday, September 2, 2020

सीमित न करो विस्तार

दो अक्षर के राम हैं

दो अक्षर के जाम

दो अक्षर का नशा है 

दो अक्षर का है काम


दो अक्षर का जीव है 

दो अक्षर की मौत

दो अक्षर की हार है

दो अक्षर की जीत


दो अक्षर का सुख है

दो अक्षर का दुख

दो अक्षर का है रवि

दो अक्षर का शशि


दो अक्षर की हीर है

दो अक्षर की पीर

दो अक्षर की आग है

दो अक्षर का नीर


अक्षर क्षर होते नहीं 

इनसे निर्मित ब्रह्माण्ड 

कहीं दो, कहीं तीन हैं

कहीं चार और पाँच 


अक्षर एक ईकाई है

रचो जो चाहे संसार

ढाई आखर के फेर में 

सीमित न करो विस्तार


राहुल उपाध्याय । 2 सितम्बर 2020 । सिएटल


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