तुम भाषा नहीं बीवी हो
कि एक से ज़्यादा आ गई
तो जीवन में परेशानियाँ बढ़ जाएँगी
देखो नई वाली कितनी अच्छी है
सब काम फटाफट
बिना रोक-टोक के हो जाते हैं
घर-बाहर, ऑफ़िस-स्कूल, आस-पड़ोस
सब जगह फ़िट हो जाती है
तुम?
तुम सिर्फ घर में काम आती हो
और वहाँ भी कहाँ
बच्चे तुम्हें पहचानने से
साफ़ इंकार करते हैं
और मैं?
मैं भी कहाँ ठीक से बोल पाता हूँ
समाचार नहीं न्यूज़ बोलता हूँ
नगद बोले हुए तो जमाना हो गया
बोतल नहीं बॉटल कहता हूँ
चुनाव नहीं इलेक्शन कहता हूँ
और लिखने की तो बात ही मत करो
अपना नाम तक तो मैं लिख नहीं पाता
फिर वर्तनी, लिंग, व्याकरण, उपकरण
यानी आ बैल मुझे मार!
हाँ, जवानी में तुम काम आई
इसके लिए तुम्हारा धन्यवाद
कुछ गीत-नज़्म आज भी याद हैं
फ़िल्मे भी अच्छी थीं
पर क्या है ना
सारी अंग्रेज़ी की नक़ल थीं
तो ओरिजनल देखना ही बेटर है ना?
तुम भाषा नहीं बीवी हो
नई के आते ही
पुरानी से रिश्ता
तोड़ना पड़ता है
राहुल उपाध्याय । 13 सितम्बर 2020 । सिएटल
3 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 सितंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 सितंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सही कहा अंग्रेजी के आते ही हिंदी का तिरस्कार...
सुन्दर व्यंग
लाजवाब सृजन
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