ना कोई कष्ट है
ना कोई जंग है
मेरे इष्ट देवता
मेरे संग-संग हैं
जब से खुली है आँख ये
पाया है सब उनसे
पाई है चाँदनी कभी
तो पाई है धूप उनसे
वे ही मेरे रूप हैं
वे ही मेरे रंग हैं
हँसती रही है ज़िन्दगी
हँसती ही जा रही
मन की हर एक तान
गुण उनके गा रही
यही मेरी रीत है
यही मेरा ढंग है
जब से हुआ है ज्ञान
वे ही हैं सब मेरे
तब से हैं प्राण-प्राण
चरणों में हवन मेरे
कहाँ मेरा, सब उनका,
हर अंग है
राहुल उपाध्याय । 16 जुलाई 2022 । जम्मू से कटरा जाते हुए
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