मैंने उससे कहा था छ: बजे उठा देना। उसने तीसरी शताब्दी में ही उठा दिया।
जागो वीर जागो। मनोज मुंतशिर ने गर्मी के मौसम में फिर से एक चकाचक सूट धारण कर गड़े मुर्दे उखाड़ने शुरू कर दिए हैं।
तुम तुरत-फुरत रवीश कुमार की पोस्ट खंगालो और उसे एक अच्छा सा जवाब दो। जो तुम्हें यह फ़ॉरवर्ड कर रहे हैं उन्हें भी।
और बाक़ी पुष्पेन्द्र जी आदि को भी कुछ समझाओ।
अभी इनका प्रभावमंडल तेज है। एक दिन बाबा रामदेव की तरह इनको भी कोई नहीं सुनेगा।
राहुल उपाध्याय । 17 जुलाई 2022 । सिएटल
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