भेजी सेल्फ़ी तूने
रात बन गई है
दोनों जहां की
ख़ुशी मिल रही है
साथ नहीं हैं तो
कोई ग़म नहीं है
हर एक इमोजी
सुकून दे रही है
तू भी है मुझ बिन
मैं भी हूँ न्यारा
करना पड़ेगा
हमें ऐसे गुज़ारा
जुदा हो के रहने की
घड़ी ये बड़ी है
विरह में भी वस्ल की
कली खिल रही है
हरेक पिक्सल में तू
ग़ज़ब लग रही है
हरेक टेक्स्ट में तू
प्यार भर रही है
हरेक पोस्ट पे तू
रिएक्ट कर रही है
हरेक पोस्ट पे तू
क्लिक कर रही है
कभी कॉल आए तो
दिल झूम जाए
घंटियों की नाद
मधुर धुन गाए
वीडियो कॉल से
आस जगी है
मिलन की घड़ी
अब दूर नहीं है
राहुल उपाध्याय । 1 अगस्त 2022 । अमरगढ़ (उत्तर प्रदेश)
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