जग में तन साथी
दूजा न कोए
मेरे हाथ, मेरे पाँव
मेरे नैन सब साथी
दूजा न कोए
तन ही है जो सुख दिलाए
तन ही है जो दुख मिटाए
तन से बड़ा ना धन है कोई
तन ही अपना होए
धन न हो तो निर्धन होए
तन न हो तो निधन होए
तन न हो तो देखे न कोई
घास न डाले कोए
तन न होता आता कैसे
तन न होता खाता कैसे
तन ही ने तो सब से मिलाया
बिन तन बात न होए
राहुल उपाध्याय । 2 अगस्त 2022 । अयोध्या
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