मेहनत का फल तुमको
मिल के रहेगा
कहेगा वही जो
शिखर पे मिलेगा
हम दिन भर हैं खटते
क्या मेहनत न करते
कहाँ है वो मेवा
कहाँ वो मिलेगा
जो विचरते हैं नभ में
कहते हैं हमसे
जड़ से जुड़ोगे
फल तो मिलेगा
ये किताबी हैं बातें
किताबी रहेंगी
धरातल पे इनका
सच ना मिलेगा
चार सफल हैं
तो लाख विफल हैं
हमें खूब है मालूम
हमें क्या मिलेगा
राहुल उपाध्याय । 12 अगस्त 2022 । सैलाना (मध्य प्रदेश)
(न क़ाफ़िया है दूजा
न ग़ज़ल ही है उम्दा
पर कह कर ही हमको
चैन मिलेगा)
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