ऐ मेरे प्यारे किशन
ऐ मेरे दिल के चमन
तुझको है परणाम
तू ही मेरी आस्था
तू ही मेरा आसरा
तू ही चारों धाम
माँ के हाथों में भी तू
पित-भ्राता सब में तू
तेरा ही हर सू चलन
चाँद-सूरज सब में तू
जिधर जाऊँ, उधर पाऊँ
हर जगह सब में हैं तू
आते-जाते बंधु-बांधव
नाम तेरा साथ है
हर पहर न हो सुबह
हो भी जाती रात है
रात हो या बात कोई
डरने की क्या बात है
मेरे दामन में जो आए
सब तेरा परसाद है
हाथ फैला के क्या मैं माँगू
सर पे तेरा हाथ है
तुझसे ही है निशा प्यारी
तुझसे ही परभात है
राहुल उपाध्याय । 22 अगस्त 2022 । सिएटल
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