Thursday, August 11, 2022

न सेहरा बँधेगा

 सेहरा बँधेगा 

 चेहरा ढँकेगा 

मोहब्बत जो की है 

सर ना झुकेगा


 माँग भरूँगा 

 हार ही दूँगा

मोहब्बत जो की है 

सब ही है तेरा


 बिछियाँ ही होंगी

 सूत्र ही होगा

पता क्या ये देंगे

जब दिल ही है मेरा


 फेरे पड़ेंगे

 अग्नि जलेगी

मोहब्बत जो की है 

सुमंगल है डेरा


 पंडित ही होगा

 मंत्रों का गुंजन 

मोहब्बत जो की है 

ख़ुदा ही है मेरा


राहुल उपाध्याय  11 अगस्त 2022  भोपाल 

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1 comments:

Surabhy dutt said...

बहुत सुंदर
हर बंध लाजवाब