Wednesday, August 10, 2022

कहते नहीं हम

कहते नहीं हम

सच तो यही है 

दिल तुमको ही चाहे

माँ भी तुम्हीं हो

पिता भी तुम्हीं हो

तुमसे ही गुण पाए


रातों को जब जलते हैं दीपक 

पाता हूँ लौ में तुमको

बर्फीले पथ, संगदिल राहें

सब में सम्बल है मुझको 

तूने ऐसा ज्ञान दिया है 

सब मुश्किल मिट जाए


डिग्री पा के, विदेश में जा के

नाम हमने कमाए

तुझसे दूरी बढ़ती गई

बढ़ती और ये जाए 

तेरी मिट्टी की याद न जाए

भूल उसे न पाए


यादों से मैं क्यों कर लड़ता 

यादें कितनी हैं प्यारी

हाथों में हैं सब कुछ मेरे

फिर भी न आए बारी

कि विदेश को हाथ हिला के

कह दूँ बाय-बाय


राहुल उपाध्याय । 11 अगस्त 2022 । अमनवाड़ी (महाराष्ट्र)




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