वो अब ख़ुद को छुपाने लगे हैं
डीपी से भी डीपी हटाने लगे हैं
मोहब्बत है तभी तो इंकार है
न करते हैं बातें, बताने लगे हैं
ये कैसी मोहब्बत की मंज़िल है
के मंजर सुहाने डराने लगे हैं
वही सेल्फ़ियाँ, वही पाक नग़मे
सुनो आज तो दिल दुखाने लगे हैं
कहाँ से कहाँ तक कदम आ गए
मंज़िल से भी नज़रें चुराने लगे हैं
राहुल उपाध्याय । 17 अगस्त 2022 । टोक्यो
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