अयोध्या के निकट फ़ैज़ाबाद है
जहाँ आज भी बयार-ए-फ़ैज़ आबाद है
एग रोल और चिकन मिलते निर्विवाद है
मुझे ख़ुशी है कि सहिष्णुता ज़िन्दाबाद है
मोबाइल
घड़ी
बैग
सब उतरवा लिए
मेरे विचार मेरे साथ रह गए
उन्हें कोई चैकिंग पकड़ न सकी
मैं
रामलला की जन्मभूमि पर
अल्लाह रसूल इल्लल्लाह कह कर
चल दिया
माईक पर उद्घोषणाएँ हो रहीं थीं
उनमें कोई भी
हामिद या रज़िया गुमशुदा नहीं थे
यह नगरी इतनी सशक्त है कि
हर समस्या से निपट सकती है
साक्षात ईश्वर जब इसे छोड़ गए
और इसका बाल बाँका न हुआ
तो अब क्या होगा
कोई राजस्थान से आए पत्थरों में
उसे क़ैद करेगा
कोई खुले में सर नवाएगा
कोई पास ही गुरबानी में रम जाएगा
मुझे ख़ुशी है कि सहिष्णुता ज़िन्दाबाद है
मुझे ख़ुशी है कि जम्हूरियत ज़िन्दाबाद है
राहुल उपाध्याय । 2 अगस्त 2022 । अयोध्या
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