कैसे दिन आ गए हैं
कि हमें किसी के दुख से
सुख मिलता है
और सुखी को
दुखी करने में मज़ा आता है
और उस पर यह कहने की हिमाक़त कि
सर्वे भवन्तु सुखिन:
अरे रोज़-रोज़
व्हाट्सएप पर इतना ज्ञान बघारनेवालों
कुछ पछतावे के लिए भी
समय निकाल लिया करो
राहुल उपाध्याय । 29 अगस्त 2022 । सिएटल
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