किसी की चीज़ खो गई थी
मैंने ढूँढ ली
दे भी दी
न जाने मेरे हाथों में क्या है कि
हर चीज़ मिल जाती है
और उन्हें उसे उससे मिलवाने में
सुख मिलता है
प्रसन्नता होती है
सुख? प्रसन्नता?
कहीं यह सब मन बहलाने के लिए
ख़ुद से झूठ तो नहीं बोला जा रहा?
कहीं वो उस चीज़ में रम जाए
और तुम्हें भुल जाए
नहीं
वह ख़ुश
तो मैं ख़ुश
वह वैसे भी बहुत अच्छी है
अब और अच्छी हो जाएगी
उसकी महक सबको मिले
इसमें हर्ज ही क्या है?
राहुल उपाध्याय । 4 अगस्त 2022 । जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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