किसी की माँ की
किसी के पिता की
तस्वीरें थीं डीपी पे
बुलडोज़र चलवाया
और उतरवा दीं मंत्री ने
देशभक्ति की आड़ में
हमने क्या-क्या न गवाया
है पीर कहीं और कहीं
हमने बताया
कभी थाल तो कभी दीप
कभी डीपी लगाया
है अपना भी कोई मत
ये हुकूमत ने भुलाया
जो होता है सड़क पे
हो घर पे
क्या है ये ज़रूरी?
माँ-बाप से है प्यार
तो क्या ये ख़ामी है मेरी?
क्यों शीश नवाना
नहीं हैं काफ़ी
झंडा फहराना
क्यों हो गया हावी?
राहुल उपाध्याय । 18 अगस्त 2022 । सिएटल
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