Friday, August 12, 2022

9 अगस्त को एक हत्या हुई

9 अगस्त को एक हत्या हुई

मेरी आँखों के सामने 

और मैंने कुछ नहीं कहा

मन हुआ कि वीडियो ले लूँ

ले न पाया

हिम्मत नहीं हुई 

लेता तो लाखों व्यू हो जाते


अच्छा ही हुआ 

नहीं लिया 

अब हर घड़ी वह दृश्य मेरे सामने है 

न कि जब फ़ोन खुला हो तब ही


मैं ही नहीं 

दर्जनों और लोग भी मौजूद थे

नाच रहे थे 

गा रहे थे

झूम रहे थे

विशेष वेशभूषा में थे

महिलाएँ भी थीं

हर उम्र के लोग थे

कुछ नशे में

तो कुछ भूखे थे


और उसे पता था

उसका कत्ल होने वाला है 

एक ने उसे गर्दन से पकड़ रखा था

वह छुटने का झूठा प्रयास कर रहा था

वह रस्सी से भी बँधा हुआ था


यह एक पर्व था

आनन्द और उल्लास का समय था

वह सबके दावत का 

देवी को प्रसन्न करने का

कामनाएँ पूरी करने का

सामान था


कटते तो वे रोज़ हज़ारों हैं

हज़ारों वर्षों से कटते आए हैं 

वो बिरयानी बिरयानी नहीं 

जिनमें इनका हाथ नहीं 

(या कोई और अंग)

लेकिन नाच-गा कर 

काटने की क्यों ये हिमाक़त?


राहुल उपाध्याय । 12 अगस्त 2022 । गनोड़ा (राजस्थान)




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