ये आँखें मेरी ग़म की खदान है
जब देखो तब रोतीं जाएँ
रोते-रोते बहतीं जाएँ
आतीं-जातीं साँसों से ये
नीर चुराए, नीर बनाए
सपने अपने सिंदूरी ना
नींदों में भी नैन रूलाएँ
ये आँसू इसके निशान हैं
अब ना हमसे प्यार ये होगा
प्यार से अब प्यार न होगा
प्यार से बढ़ कर दुख ना कोई
प्यार भरा अब प्यार न होगा
ये शाप है ना कि वरदान है
राहुल उपाध्याय । 9 जुलाई 2022 । रतलाम
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