तू अनादि है, अनन्त है
तेरी कायनात सर्वत्र है
तूझे खोजता मैं अब नहीं
मुझमें ही तेरा अक्स है
तू यत्र है, तू तत्र है
तू मेरा हो के भी स्वतंत्र है
तुझसे माँगता मैं अब नहीं
तुझसे रूठता मैं अब नहीं
तू पास है, तू ख़ास है
तुझसे बंधी मेरी साँस है
इस बात का जब अहसास है
फिर माँगना और रूठना
एक निरर्थक प्रयास है
मैंने माँगा नहीं, तूने जन्म दिया
मैंने चाहा नहीं, तूने सब दिया
ऐसा नहीं कि इफ़रात है
और कमी का नहीं आभास है
पर माँगना और रूठना
एक निरर्थक प्रयास है
तू घूमता नहीं गली-गली
ले के जादुई छड़ी
कि इसको मैं वार दूँ
इसकी ज़िन्दगी सँवार दूँ
इसको जीत, इसको हार दूँ
इसे बख़्श दूँ, इसे मार दूँ
तू है हर कली, हर फूल में
तू है धूल में, हर शूल में
तू न रूकता किसी के कहे
तू न चलता किसी के सुने
तू आत्म है, विश्वास है
तू ही आत्मविश्वास है
सब है यहीं, सब पास है
फिर माँगना और रूठना
एक निरर्थक प्रयास है
16 दिसम्बर 2016
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