क्रिसमस ट्री की तरह
कटता ही रहा हूँ मैं
कभी इस ट्रक पे, कभी उस ट्रक पे
लदता ही रहा हूँ मैं
मैं तकता रहा
प्रेज़ेंट्स औरों के लिए
कोई लाया नहीं
कुछ मेरे लिए
यूँही सज-धज के
मीत सब तज के
तकता ही रहा हूँ मैं
हॉल में सजूँ
या कि कमरे में
कटे हुए की जगह
तो है कचरे में
बिन आरनामेंट्स
बिन लाईट्स के
ठिठुरता ही रहा हूँ मैं
आज ख़रीदा गया
कल फेंका गया
जलती आग पे भी
मुझे सेंका गया
यूँही बिक-बिक के
यूँही सिक-सिक के
मिटता ही रहा हूँ मैं
(रवीन्द्र जैन से क्षमायाचना सहित)
23 दिसम्बर 2016
सिएटल | 425-445-0827
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