Friday, July 14, 2023

ये सच हो, रहे सपना नहीं, मैं दुआ करूँ

ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं मैं क्या करूँ 

तसव्वुर में कोई बसता नहीं मैं क्या करूँ

लुटे दिल में दिया जलता नहीं मैं क्या करूँ

तुम्हीं कह दो, अब ओ देश मेरे, मैं क्या करूँ


कोई भी दिन हो या हो रात तुम्हें भूल पाना नहीं मुमकिन 

त्योहारों पे छलकते मोतियों में छुप जाना नहीं मुमकिन 

चहकते पक्षियों के सुर को सुन पाना नहीं मुमकिन 

मुझे तुम बिन कोई जंचता नहीं मैं क्या करूँ


मंज़िल तय तो की लेकिन मक़ाम पाया नहीं फिर भी 

सीमाएँ छोड़ दीं लेकिन सीमाएँ बाँधतीं कितनी

वहाँ थे चाँद मामा-मीत, यहाँ है चाँदनी चुभती

मुझे तो चैन कहीं मिलता नहीं मैं क्या करूँ


बधाई आज है तुमको कि तुम आगे आए हो इतने

तुम्हारे साथ जुड़े हैं ख्वाब लाखों लाख लोगों के

आज के कंधों पे चढ़ के मिलेगा कल सितारों से

ये सच हो, रहे सपना नहीं, मैं दुआ करूँ 


राहुल उपाध्याय । 15 जुलाई 2023 । मुम्बई 


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