Thursday, July 20, 2023

वह पहनती है टी-शर्ट मेरा

वह पहनती है टी-शर्ट मेरा

जबकि फ़िट उसे आता नहीं

टटोलती है वो बार-बार 

हार गले का हाथ से

कि मिल जाए वो स्पर्श मेरा

जो रह गया था उस हार में 


लिखती है वो बार-बार 

घर भी मेरे आओ ना

आए इतने पास हो

आके इतनी दूर से

बिन मिलें जाओगे 

रह जाएगा कुछ टूट के

फिर मिटा के उसे

रोती है वो जार-जार


इससे बढ़कर कोई धन नहीं 

कि क़ैद में हैं बुलबुल मगर

रहती मेरे साथ है 

गीत मेरे गा सभी

रहती मेरे साथ है 

मिलती है रोज़ मुझे 

कभी कॉल पे, कभी नींद में

छटपटाती है बहुत 

देख मुझे रील में

कभी इस गली तो कभी उस गली 

कि काश होते वो मेरे

और मैं उनके साथ में


राहुल उपाध्याय । 20 जुलाई 2023 । मुम्बई 





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