Monday, September 25, 2023

देवदास

मैं कभी देवदास नहीं बन सकता

बहुत जल्दी दिल जुड़ जाता है 

कोई पसन्द आने लग जाता है 

मैं उसका और वो मेरी लगने लगती है 

उठते-बैठते उसी का ख़याल आता है 

कविताओं में उतरने लगती है 

फ़िज़ाओं में घुल जाती है 

फ़ोन लॉग में उसका वर्चस्व हो जाता है

सेल्फ़ी से अल्बम भर जाती है 

बातें इतनी होती हैं कि 

सुबह-शाम से काम नहीं चलता

वक्त-बेवक्त बात हो जाती है 


जो कहते हैं 

मैं तनहा हूँ 

उन्हें क्या पता

मैं कितना अलहदा हूँ 


राहुल उपाध्याय । 25 सितम्बर 2023 । सिएटल 

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