Tuesday, September 5, 2023

किसे हम शहर कहते हैं

न जाने क्या है वो

जिसे हम शहर कहते हैं 

चंद बाशिंदे जहाँ बसर करते हैं 

कहते हैं वहाँ कभी 

फूल खिलते थे

बाग महकते थे

झरने बहते थे


आज भी 

फूल खिलते हैं 

बाग महकते हैं

झरने बहते हैं 

बंद कमरों में

छत की मुँडेरों पे

झाड़फ़ानूस की गलियों में


राहुल उपाध्याय । 5 सितम्बर 2023 । ज़मीं से ऊपर, आसमाँ से नीचे







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