Sunday, September 10, 2023

नज़रों में सबकी

नज़रों में सबकी

जादू है ऐसा

जिसको जो चाहे 

दिखता है वैसा


लड़ते-झगड़ते हैं

संत भी देखो

चीज़ ही ऐसी है

रूपया-ओ-पैसा


महलों में थी तो

बच गई मीरा

गाँव में होती

अंत होता वो कैसा


अहिल्या को तारे

पत्नी को त्यागे

ऐसा-वैसा 

ये धर्म है कैसा


हम थे अलग

तभी तो मिले थे

अब तुमको चाहिए 

अपने जैसा


राहुल उपाध्याय । 10 सितम्बर 2023 । सिएटल 



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