Thursday, September 7, 2023

न शिकवा है कोई

न शिकवा है कोई 

न कोई गिला है

मुझे जो मिला है 

बहुत ही मिला है


न आया मैं दर पे

कभी कुछ मैं लेने

दुआ तो रही दूर

न लब तक हिला है


मानूँ तुझको दाता

मगर वो नहीं जो

लेकर के सौग़ात 

देता सिला है


तुझे पूजकर के

न कभी कुछ मिला है 

जो भी मिला है

एक सिलसिला है


करूँ पेश तुझको

नज़राना कैसा

जो भी मैं दूँगा 

तुझसे मिला है 


राहुल उपाध्याय । 7 सितम्बर 2023 । सिएटल 



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