ये दुख भरी ख़बरें, ये दर्द भरे नग़मे
नहीं सुन सकते हैं दिल और अभी
जिनकी आँखें दुख से भर गई हैं
जिनकी साँसें आहों से भर गई हैं
वो क्या सुनेंगे अफ़साना
कहना उनका है बस इतना
नहीं सुन सकते हैं दिल और अभी
जब से सुख का पता सब भूल गए
सबसे हाथ जोड़ बिनती करें
इन सूनी राहों में
और भीगी-भीगी रातों में
नहीं सह सकते हैं ग़म और अभी
सारे उससे मोहब्बत करते हैं
फिर भी आँखों में आँसू रहते हैं
कहते रहते हैं दीवाने
तू बात मेरी क्यूँ ना माने
नहीं सह सकते हैं ग़म और अभी
राहुल उपाध्याय । 1 जून 2021 । सिएटल
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