हाथ में विश्वास
जिसे है जीत उसी की होनी है
मान ले जो हार
उसकी हार ही तो होनी है
हम अकेले हैं
बिलकुल अकेले हैं,
तो भी क्या ग़म है
साथ में अपने
हैं हाथ दो अपने
तो फिर क्या ग़म है
हो ना तू निराश,
जगत में जीत तेरी ही होनी है
देख भँवर में
जो नाव फँसी है
तू पतवार थाम ले
ज्ञान से तेरे
कर दूर अंधेरे
तू मोर्चा थाम ले
हो जा तू तैयार
हो जा तू तैयार
समर में जीत तेरी ही होनी है
तुने साँस की दौलत
जो पाई है
उसे सम्भाले रखना
आज नहीं तो क्या
कल तो पाएगा
तू उसकी राह तकना
ठान ले इक बार
फिर ये जीत तेरी ही होनी है
राहुल उपाध्याय । 14 जून 2021 । सिएटल
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