अब जब घर में एक ही चाकू रह गया है
वह
आसानी से मिल जाता है
खोता नहीं
साफ़ रहता है
चमचमाता हुआ
मेरा मूड भी ठीक रहता है
कोई झुँझलाहट नहीं
खाना भी प्रेम से बनता है
प्रेम से खाता भी हूँ
एक से ज़्यादा चाकू क्यों चाहिए?
बड़ा, छोटा, सब तो कट जाता है
बड़े कद्दू से लेकर
छोटी मिर्च तक
जितनी भी सब्ज़ियाँ हैं सब की सब
लौकी, बैंगन, गोभी, टिण्डा
भिण्डी, करेला, फली, पालक
मैथी, मूली, खीरा, टमाटर
और क्या काटना है?
जीवन?
वह न कटे तो ही अच्छा है
उसे जीना है
और जी रहा हूँ
राहुल उपाध्याय । 5 जून 2021 । सिएटल
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