Sunday, June 6, 2021

ग़म ज़िन्दगी के कम हो रहे हैं

https://youtu.be/uYdAqihHb1g


मुबारक हो सबको

ये जीवन सलोना

ग़म ज़िन्दगी के

कम हो रहे हैं


दिन हैं ख़ुशी के

ख़ुशी की हैं रातें

ग़म ज़िन्दगी के

कम हो रहे हैं


गुंचे खिले हैं

यहाँ से वहाँ तक

है मौजों की चादर

बिछी आसमाँ तक

जिधर देखूँ मैं अब

करम हो रहे हैं


सफ़ीने फँसे थे

भँवर में हमारे

हाथों से हमने

किए वो किनारे

ख़ुद से अब वाक़िफ़

हम हो रहे हैं


राहुल उपाध्याय । 5 जून 2021 । सिएटल 


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