पता होता
कि तुम मिलोगी
तो
वही शर्ट पहनता
जो तुम्हें पसन्द है
तीन दिन
खाना नहीं खाता
ताकि पेट निकला न होता
वही सब करता
जिनसे तुम्हें लगता
कि मैं उसी परिपाटी पर
चल रहा हूँ
जो तुमने बनाई थी
तुम मिलकर भी न मिली
तुम्हारी चमक-दमक ही इतनी है
कि जुगनू तुम्हें क्या समझ आए
मैं हमेशा की तरह
ख़ाली हाथ लौटा
ऐसे जैसे
कोई जग छोड़े
अपनी अंत्येष्टि के बाद
राहुल उपाध्याय । 27 जून 2021 । सिएटल
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