जहाज़ दिल का उड़ाओ
ये जग तेरा है
कोई भी साज़ बजाओ
ये जग तेरा है
यहाँ आँख में है पानी
यहाँ हँसी भी है
यहाँ राम-रहीम है
यहाँ हसीं भी है
गले जो चाहे लगाओ
ये जग तेरा है
ठहर के थोड़ा जो देखो
समाँ बदल जाए
जो आज है नज़र वो
न कल आए
बदलते तुम भी जाओ
ये जग तेरा है
राहुल उपाध्याय । 9 जून 2021 । सिएटल
1 comments:
सच कहा आपने समय देखकर चलो तो सारा जग अपना ही लगता है
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