Friday, June 18, 2021

कविताएँ जो लिखी जा चुकी हैं

कविताएँ 

जो लिखी जा चुकी हैं 

सुनाई जा चुकी हैं 

छप चुकी हैं 

पेन्सिल से नहीं लिखी गईं 

कि इरेज़र से मिटा दूँ 

ब्लॉग नहीं है

कि डीलिट कर दूँ 

काग़ज़ नहीं है कि

फाड़ दूँ


मेरी ज़िन्दगी हैं


और सही भी है 

कल की अच्छाई

आज पर क्यूँ थोपूँ 

आज की बुराई 

कल पर क्यूँ मढ़ूँ?


तुम

कल अच्छी थी तो थी

आज नहीं तो नहीं 


मैं भी वो कहाँ 

जो कल था


कल एक का था

आज दस का हूँ 

कल कार में था

आज बस में हूँ 

पर किसी के नहीं 

बस में हूँ 


राहुल उपाध्याय । 18 जून 2021 । सिएटल 




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1 comments:

Sudha Devrani said...

एकदम सटीक....
बहुत सुन्दर
वाह!!!