मैं तीन घंटे ग़ायब क्या हुआ
वो अकेली हो गई
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सब कुछ होते हुए भी
अकेली हो गई
कितनी ख़ुशी की बात है
कि कोई मेरी याद में
इतना दुखी हो जाए
कि
मोटी-मोटी आँखों में
आँसू भर ले
मोती जैसे दाँत
गिरवी रख दे
मेरे होने न होने से
उसे फ़र्क़ पड़े
मेरा तो आज जैसे
दिन ही बन गया
दुखी हुई वो तो
दुखी मैं भी हूँ
पर रिश्ते की मज़बूती का
जश्न भी तो है
चाहता हूँ कि
ऐसे दिन और आए
बिन आँसू लाए
मुझे वो मेरी है बता जाए
राहुल उपाध्याय । 16 जून 2021 । सिएटल
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