मेरे भारत तू न रो
आईना हूँ मैं तेरा
मैं सँवारूँगा तुझे
थोड़ा वक्त दे दे मुझे
भीगी पलकें न झुका
आईना हूँ मैं तेरा
कितने ही साल गँवाए मैंने
दूर घर से जहां बसाए मैंने
मैंने कई दुख भी दिए होंगे
ग़म के आंसू भी पिए होंगे
लौटा हूँ आज मैं तेरी ओर
आया हूँ मैं तेरे लिए
मेरे गौरव तू न रो
आईना हूँ मैं तेरा
मेरा जीवन है तेरा ही जीवन
मेरा क्या है बस ये तन केवल
तूने ही पंख दिए बाँहों को
तूने ही सुना मेरी आहों को
आज समझा मेरा है तू
तू ही है मेरे लिए
मेरे बाबुल तू न रो
आईना हूँ मैं तेरा
राहुल उपाध्याय । 5 जून 2021 । सिएटल
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