Wednesday, June 9, 2021

पाए हैं ज़ख़्म जितने

https://youtu.be/Nw3Mkd_MYk8


पाए हैं ज़ख़्म जितने बना के चले गए

इन्सान हम को काम का बनाते चले गए


तोड़ा जो दिल तो दर्द हुआ ज़रूर था

इसी दर्द को दवा हम बनाते चले गए


जीवन का सफ़र हुआ और भी हसीं

गुल-ओ-गुलज़ार साँस में बसाते चले गए


होगा वस्ल आगे भी ये तय ज़रूर है

ख़्वाबों में झूठ-साँच सब लाते चले गए


राहुल उपाध्याय । 8 जून 2021 । सिएटल 

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