Friday, June 4, 2021

रोग इक रात है


https://youtu.be/A7ZZboblC18


रोग इक रात है, 

इक रात से तू प्यार न डर

रोग हो जाए तो, 

इस रोग से जी जान से लड़


रोग ज़माने में कई आएँ फ़ना हो भी गए

जो कभी ख़्वाब थे आज दवा हो भी गए

अपने हाथों की तहरीर से इनकार न कर


हाँ कभी आँख से आँसू भी छलक जाएँगे 

काले बादल भी फ़िज़ाओं में नज़र आएँगे 

अपनी आहों का तू जग पे इज़हार न कर


रात को दिन के उजाले तो नहीं मिलते हैं 

ऐसी सूरत में इशारे भी नहीं मिलते हैं

हार न मान चल शमाओं को तू हाथ पे धर


राहुल उपाध्याय । 4 जून 2021 । सिएटल 



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