Wednesday, June 30, 2021

तू चाँद है

तू और तेरी खूबसूरत अदाएँ 

सतातीं हैं मुझे 


सोता हूँ 

तो सोने न दे

जागूँ 

तो जागने न दे

कभी इधर

तो कभी उधर

भटकाती हैं मुझे 

सर्द-गर्म मौसम की तरह

तड़पातीं हैं मुझे 

न ए-सी है

न हीटर है 

तू ही बाहर-भीतर है

गिरता-उठता है 

मेरे प्यार का समंदर

तू चाँद है

मैं सागर की लहर भर


राहुल उपाध्याय । 30 जून 2021 । सिएटल 


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