तू और तेरी खूबसूरत अदाएँ
सतातीं हैं मुझे
सोता हूँ
तो सोने न दे
जागूँ
तो जागने न दे
कभी इधर
तो कभी उधर
भटकाती हैं मुझे
सर्द-गर्म मौसम की तरह
तड़पातीं हैं मुझे
न ए-सी है
न हीटर है
तू ही बाहर-भीतर है
गिरता-उठता है
मेरे प्यार का समंदर
तू चाँद है
मैं सागर की लहर भर
राहुल उपाध्याय । 30 जून 2021 । सिएटल
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