Wednesday, June 9, 2021

निर्णायक

एक दवाई है

सोलह करोड़ रूपये की

जो कि तीन वर्ष की उम्र से पहले

शिशु को दे दी जाए तो

वह एक भयानक बीमारी से बच सकता है

जी सकता है


स्वस्थ वो

फिर भी न रह पाएगा 

हज़ारों और काम्पलिकेशन्स हैं


एक लम्बी उम्र जी लेने के बाद

आमतौर पर सब शरीर से छुटकारा 

पाने में ही भलाई समझते हैं 


तीन साल के बच्चे के जीवन का

निर्णायक कौन?


माँ-बाप, जो दवाई नहीं ख़रीद सकते?

दवाई बनाने वाला, जो इतनी महँगी सम्भावना बेच रहा है?

या ये समाज, जो

ग़रीब का मज़ाक़ उड़ाने के लिए

ऐसे विकल्प स्थापित करता है?


हम सब 

जो यह ठीक से नहीं सोच सकते

कि आज कौन सी सब्ज़ी बनाए

अब इसके निर्णायक बन रहे हैं कि

कौन जीए

कौन मरे


कई बार लगता है कि

जितनी कम जानकारी हो

उतना अच्छा 


राहुल उपाध्याय । 9 जून 2021 । सिएटल 







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