Thursday, November 30, 2023

कल रात तुम सपने में आई थी

कल रात तुम सपने में आई थी

कहने लगी

तुमसे मिलती तो कितना अच्छा होता

तुम इतने दूर से आए और मैं मिल न सकी

मैंने कितने सपने संजो के रखे थे

गोवा जाते

गोहाटी जाते

करण जोहर की फ़िल्मों की तरह 

हसीं रास्तों से गुजरते

मैं शिफ़ॉन साड़ी में

तुम पीले कुर्ते में कितने जँचते

किसी फ़ॉयर प्लेस के पास बैठ

हम घंटों बातें करते 

तुम मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ फेरते

मेरे तमतमाए ललाट को चूमते

अपने होंठ मेरे होंठों पर रखना चाहते 

और मैं मना कर देती

मेरे साथ चलता है मेरा एक और रूप

वो न हो तो मैं नहीं 

वो न हो तो मैं भागूँ नहीं 

वो न हो तो जन्नत खोजूँ नहीं 

मैं ब्याहता हूँ 


हम नहीं मिले 

यह अच्छा ही हुआ 

मिलते तो

जन्नत का भ्रम टूट जाता

चाहत ख़त्म हो जाती

तुम सपने में न आती


राहुल उपाध्याय । 1 दिसम्बर 2023 । सिंगापुर 




Wednesday, November 29, 2023

किसी को याद तो आओ

वह रोज़ व्हाट्सएप पर

मुझे 

गुड मॉर्निंग कहती है

गुड नाइट कहती हैं 

कभी-कभी कुछ पूछ भी लेती है 

कैसे हो?

क्या कर रहे हो?

खाना खा लिया?

स्टेटस टटोलती है

उसमें मुझको खोजती है 

मेरी हँसी पे निछावर हो

कुछ इमोजी भेजती है 

हम न आशिक़-माशूक़ हैं

मिले कहीं दो सयाने हैं

इक दूजे को थोड़ा जानते हैं 

थोड़ा और जानना चाहते हैं 

यही तो ज़िन्दगानी है

किसी के दिल में घुस जाओ

किसी के दिल में बस जाओ

चार पल को ही सही

किसी को याद तो आओ


राहुल उपाध्याय । 30 नवम्बर 2023 । सिंगापुर 






इकतालीस को ताली मिले

इकतालीस को ताली मिले

भूखों को फ़्री राशन

मेहनत-मजूरी जो करे

पा रहे भाषण 


हाथ में तेरे क्या नहीं 

तू मिट्टी को सोना कर दे

गगन चीर दे, बाँध बाँध दे

मरूथल में गंगा भर दे


बाल-बच्चों को भेज पाए

ऐसे स्कूल की फ़ीस नहीं है

पीने को पानी नहीं दिन भर

संकट बिजली का आज वही है 


एक हादसा, एक वारदात

इसके पीछे टीआरपी बड़ी हैं 

मरने वाले रोज़ हैं मरते 

उनके दु:ख की किसको पड़ी है


आओ चलो हम जय भारत बोलें

इक-दूजे की पीठ थपथपाए

कभी टनल, कभी चन्द्रयान 

इन सबकी हम जीत जताए


टी-ट्वेंटी के चौके-छक्के

चप्पे-चप्पे में उत्साह भर दे

पठान-जवान-टाइगर सारे

मुर्दों को भी ज़िन्दा कर दे


कहाँ दुःख है, कोई हमें बताए

जय जय जय हर आँगन बोले

तुलसी बिारवा एक है काफ़ी 

पिला दो इसे चाय में घोले


हर रोग का इलाज यही है

इससे बड़ा कोई उपाय नहीं है 

हम विश्व गुरू हैं, हम सब जानते 

ये ऐसी-वैसी राय नहीं है


राहुल उपाध्याय । 29 नवम्बर 2023 । सिंगापुर 







Sunday, November 26, 2023

सच-सच बताओ

सच-सच बताओ

मुझे तुम प्रिये

कितनी बार  

तुम आज रूठी

कितनी बार

मुझे याद किया

फ़ोन उठाया 

फ़ोन रखा 

कुछ लिखा

कुछ साफ़ किया


दर्पण-दर्पण नज़र है कहती

भला इंसान है क्यों फ़ोन न करती

कब तक यूँ संदिग्ध रहेगी

खुल कर कभी क्यों बात न करती


है अच्छा पर कुछ ज़्यादा ही है 

इसका, उसका, सबका ही है 

कभी पलट के फ़ोन न करता

अपने ही संसार में रमता


मैं करूँ कोई फ़र्क़ नहीं है 

न करूँ कोई दुख नहीं है 


देवालय के देवों सा है 

सबको देखे, सबको भावे 

पर किसी के हाथ न आवे


इसके जैसा निर्मोही नहीं कोई 

इसके जैसा मनमोही नहीं कोई 


राहुल उपाध्याय । 26 नवम्बर 2023 । सिंगापुर 





सोलह साल हुए कभी थे पूरे

सोलह साल हुए कभी थे पूरे

हुए आज साठ हैं

यहाँ-वहाँ-कहाँ ये गुज़रे 

कोई जाने ना


पूरब में पैदा होकर

पश्चिम में आया मैं

जहां-जहां खाद मिली

वहीं-वहीं छाया मैं

कल होगा कौन कहाँ पे

कोई जाने ना


अपनों से बढ़कर निकले

बन गए जो मीत हैं

क्या देना दोष किसी को

जग की ये रीत है 

कब तक है साथ किसी का

कोई जाने ना 


राहुल उपाध्याय । 26 नवम्बर 2023 । सिंगापुर 


Saturday, November 25, 2023

इतवारी पहेली: 2023/11/26


इतवारी पहेली:


क्रिकेट में हार नहीं होती है ####

जीत तभी है, बन जाए ## ## 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya



आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 

सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 3 दिसम्बर 2023 को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 26 नवम्बर 2023 । सिंगापुर 



तबियत बिगड़ गई है तो डाँटते नहीं

तबियत बिगड़ गई है तो डाँटते नहीं 

त्रुटियाँ हों लाख मगर जाँचते नहीं 


यूँ तो कई हैं मार्ग सितारों के सामने

गुज़रे वो मेरे घर से वो चाहते नहीं 


मैंने भी की थी मौज बहुत उनके साथ में

अब और बात है कि वो पहचानते नहीं 


हुस्न ही नहीं है प्यार भी घटता है साहिबो

बस फ़र्क़ यही है कि हम नापते नहीं 


धरती पे छाई चाँदनी ये कैसी बात है 

चंदा बिना हो चाँदनी हम मानते नहीं 


राहुल उपाध्याय । 25 नवम्बर 2023 । सिंगापुर 







Friday, November 24, 2023

मैं साठ का हो गया हूँ

आज पहली बार

दीवार से पीठ लगाकर

जीन्स पहनी

तब जा के समझ में आया कि 

मैं साठ का हो गया हूँ 


आज सूटकेस लेकर

सीड़ियाँ उतरते वक्त 

दूसरे हाथ से

रेलिंग पकड़ रहा था 

तब जा के समझ में आया कि 

मैं साठ का हो गया हूँ 


आज दाड़ी बनाते वक्त 

लगा कि बाल कुछ 

कम उग रहे हैं 

तब जा के समझ में आया कि 

मैं साठ का हो गया हूँ 


ख़ुशी इस बात की है कि मैं

आज भी जीन्स पहन रहा हूँ 

अपना सामान ख़ुद उठा रहा हूँ 

अपनी दाड़ी अपनेआप बना रहा हूँ 


राहुल उपाध्याय । 25 नवम्बर 2023 । दिल्ली 






Tuesday, November 21, 2023

पहले भी यूँ तो बरसे थे बादल

पहले भी यूँ तो बरसे थे बादल

साथी मगर कोई ऐसा नहीं था

हाथों में हाथ डाल कोई

संग-संग मेरे यूँ भागा नहीं था 


पहले भी यूँ तो गाए थे गाने

पर दूजे से सुर मिल पाता नहीं था 

शब्द भी थे उसके आधे-अधूरे

पर उसके जैसा कोई गाता नहीं था


पहली मुलाक़ात में होंगी ये बातें 

दिल ने कभी कुछ सोचा नहीं था

पहली घड़ी और आखरी मिनट बीच 

मंजर यूँ बदलेंगे सोचा नहीं था


क़िस्मत है मेरी कितनी सुहानी

वो सब हुआ जो होना नहीं था

पाया है मैंने ज़रूरत से ज़्यादा 

जबकि वो चाँदी-सोना नहीं था


राहुल उपाध्याय । 21 नवम्बर 2023 । लखनऊ 



Monday, November 20, 2023

कोई मंजर दिल को छू पाता नहीं

कोई मंजर दिल को छू पाता नहीं 

बेखुदी में भी वतन भाता नहीं 


जो था हाल है वही दशकों के बाद

कैसे कह दूँ गाँव से जी घबराता नहीं 


कल जो दौड़े थे शहर को गाँव से

उनको सुख कोई नज़र आता नहीं 


चल दिया था छोड़ के जिस देश को

उससे अब मेरा कोई नाता नहीं 


राहुल उपाध्याय । 20 नवम्बर 2023 । लखनऊ

https://mere--words.blogspot.com/2023/11/blog-post_20.html?m=1



कोई मंजर दिल को छू पाता नहीं

कोई मंजर दिल को छू पाता नहीं 

बेखुदी में भी वतन भाता नहीं 


जो था हाल है वही दशकों के बाद

कैसे कह दूँ गाँव से जी घबराता नहीं 


कल जो दौड़े थे शहर से गाँव को

उनको सुख कोई नज़र आता नहीं 


चल दिया था छोड़ के जिस देश को

उससे अब मेरा कोई नाता नहीं 


राहुल उपाध्याय । 20 नवम्बर 2023 । लखनऊ 


Sunday, November 19, 2023

चलो हम न सही, तुम ही सही

चलो हम न सही, तुम ही सही

जो कल को ख़ुश हज़ार हुए

मंजर था वो एक सा और

तुम थे खुश, हम बेज़ार हुए


ये कौनसा तिलिस्म है

ये कौनसा दयार है

कि आए ख़िज़ाँ लाख पर

और छाए कहीं बहार है 


ये टोलियाँ, ये बोलियाँ 

की गई क्यूँ इजाद है 

कि रो रहे हैं कुछ यहाँ 

हो रहा वहाँ उन्माद है


आदमी को चाहिए कि

आदमी से बात हो

खेल न हो तो भला

किस से किस की बात हो


राहुल उपाध्याय । 20 नवम्बर 2023 । लखनऊ 



कप के अरमा आँसुओं में बह गए

कप के अरमां आँसुओं में बह गए

दस से जीत कर के भी हारे रह गए


जीत की इक आस मन में रह गई

जश्न के सपने सुहाने ढह गए


सोचते थे हम आज जीतेंगे अवश्य 

हम रहे इस पार और जीत वह गए


आज हैं हारे तो क्या ये अंत नहीं 

जीत ही जाएँगे कल सब कह गए


राहुल उपाध्याय । 19 नवम्बर 2023 । लखनऊ 

Saturday, November 18, 2023

मरा सिर्फ़ एक हूँ मैं

सौ-दो-सौ बच गए

मरा सिर्फ़ एक हूँ मैं 

इश्क़ की आग है ये

तपा सिर्फ़ एक हूँ मैं 


मुस्कराते ही रहे

कर के वो चाक जिगर

साठ-वाठ घायल हुए 

फ़िदा सिर्फ़ एक हूँ मैं 


उनसे क्या आस करूँ 

जिनका ईमान नहीं

सौ-दो-सो भाग लिए 

टिका सिर्फ़ एक हूँ मैं


आगे-पीछे हैं नहीं

जिनके जीवन में कोई 

सच्चे योगी हैं वही

ऐसा सिर्फ़ एक हूँ मैं 


राहुल उपाध्याय । 18 नवम्बर 2023 । प्रयागराज से लखनऊ जाते हुए 





Friday, November 17, 2023

ओह रे कॉल लगे घर के बाहर

ओह रे कॉल लगे घर के बाहर

इंटरनेट नहीं मिलता रे 

एआई-फेआई हैं कहाँ पर

कोई जाने ना


इधर-उधर सड़क खुदी है

जगह-जगह गड्ढे हैं

सब कुछ है घर के बाहर

घर में हैं चूहे रे

सफ़ाई-वफ़ाई है कहाँ पर

कोई जाने ना


कहते हैं हैं हम सबसे अच्छे

जग में हैं आगे रे

कब तक हम झूठ सहेंगे 

सच को को न मानेंगे 

सच्चाई-वच्चाई है कहाँ पर

कोई जाने का


राहुल उपाध्याय । 18 नवम्बर 2023 । डोल (जिला रीवा, मध्य प्रदेश)


Tuesday, November 14, 2023

टूटा दिल जुड़ रहा है

टूटा दिल जुड़ रहा है

आई फिर से जवानी

दिल जो इश्क़ भूल चुका था 

कर रहा फिर से हाँ जी


जाने क्यूँ मुझको मिला

एक इंसान भला

जिसमें हैं हुस्न हज़ार 

और अदाएँ बला की


आओ फिर लौट चले

सोलह-सत्रह की आयु

जिसमें थी इक आस बहुत

साथ में कोई कहाँ थी


दर्जनों बार हुआ है

प्यार में धोखा फिर भी 

करते हम और रहेंगे 

इश्क़ नेमत है ख़ुदा की


इससे हो या उससे

फ़र्क़ कोई नहीं है 

जिस्म की बात नहीं है 

बात ये दिल की रूहानी 


राहुल उपाध्याय । 15 नवम्बर 2023 । रीवा