सोलह साल हुए कभी थे पूरे
हुए आज साठ हैं
यहाँ-वहाँ-कहाँ ये गुज़रे
कोई जाने ना
पूरब में पैदा होकर
पश्चिम में आया मैं
जहां-जहां खाद मिली
वहीं-वहीं छाया मैं
कल होगा कौन कहाँ पे
कोई जाने ना
अपनों से बढ़कर निकले
बन गए जो मीत हैं
क्या देना दोष किसी को
जग की ये रीत है
कब तक है साथ किसी का
कोई जाने ना
राहुल उपाध्याय । 26 नवम्बर 2023 । सिंगापुर
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