सौ-दो-सौ बच गए
मरा सिर्फ़ एक हूँ मैं
इश्क़ की आग है ये
तपा सिर्फ़ एक हूँ मैं
मुस्कराते ही रहे
कर के वो चाक जिगर
साठ-वाठ घायल हुए
फ़िदा सिर्फ़ एक हूँ मैं
उनसे क्या आस करूँ
जिनका ईमान नहीं
सौ-दो-सो भाग लिए
टिका सिर्फ़ एक हूँ मैं
आगे-पीछे हैं नहीं
जिनके जीवन में कोई
सच्चे योगी हैं वही
ऐसा सिर्फ़ एक हूँ मैं
राहुल उपाध्याय । 18 नवम्बर 2023 । प्रयागराज से लखनऊ जाते हुए
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