Sunday, November 26, 2023

सच-सच बताओ

सच-सच बताओ

मुझे तुम प्रिये

कितनी बार  

तुम आज रूठी

कितनी बार

मुझे याद किया

फ़ोन उठाया 

फ़ोन रखा 

कुछ लिखा

कुछ साफ़ किया


दर्पण-दर्पण नज़र है कहती

भला इंसान है क्यों फ़ोन न करती

कब तक यूँ संदिग्ध रहेगी

खुल कर कभी क्यों बात न करती


है अच्छा पर कुछ ज़्यादा ही है 

इसका, उसका, सबका ही है 

कभी पलट के फ़ोन न करता

अपने ही संसार में रमता


मैं करूँ कोई फ़र्क़ नहीं है 

न करूँ कोई दुख नहीं है 


देवालय के देवों सा है 

सबको देखे, सबको भावे 

पर किसी के हाथ न आवे


इसके जैसा निर्मोही नहीं कोई 

इसके जैसा मनमोही नहीं कोई 


राहुल उपाध्याय । 26 नवम्बर 2023 । सिंगापुर 





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