Sunday, November 5, 2023

सोती हैं तो सपना है

सोती हैं तो सपना है 

जगती हैं तो दुनिया है

आँखों को अवकाश कहाँ 

हर हाल में इनको तकना है


जो दिख रही वो माया है 

जो देख रही वो काया है

नज़रों से परे है जो

उसे ही तो समझना है


झगड़ों की दवा नहीं है

प्यार की किताब नहीं है 

जो हो रहा है होने दो

किसी से ने हमको बचना है 


क्षणभंगुर है ख़ुशी यहाँ पे

क्षणभंगुर है ग़म भी यारो

जो आता है वो जाता है 

किसी में भी न हमें उलझना है


ये दुनिया सीधी-सीधी है

ये जीवन सादा-सादा है

कब समझोगे, कब उबरोगे 

नाहक ना तड़पना है


राहुल उपाध्याय । 6 नवम्बर 2023 । सिंगापुर 



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