कप के अरमां आँसुओं में बह गए
दस से जीत कर के भी हारे रह गए
जीत की इक आस मन में रह गई
जश्न के सपने सुहाने ढह गए
सोचते थे हम आज जीतेंगे अवश्य
हम रहे इस पार और जीत वह गए
आज हैं हारे तो क्या ये अंत नहीं
जीत ही जाएँगे कल सब कह गए
राहुल उपाध्याय । 19 नवम्बर 2023 । लखनऊ
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