दर्द मीठे, ख़ुशियाँ नमकीन
होती हैं ये माने कौन
घर-घर में है वही प्रणाली
नई प्रणाली लाए कौन
हम तुम होते एक जैसे
फिर ना कोई चाहत होती
तेरे-मेरे भेद हैं प्यारे
इनसे प्यारे धागे कौन
जो तुम में है, वो मुझ में है
जो इसमें है, वो उसमें है
समंदर-दरिया-ताल-तलैया
सब में जल है, प्यासे कौन
भीगे-भीगे नैन हैं प्यारे
अधरों की मुस्कानें भी
सबसे मेरा एक सा नाता
अपनों को समझाए कौन
आते-जाते मौसम प्यारे
उगते-डूबते तारे भी
सबका अपना अस्त-उदय है
उम्र सबकी नापे कौन
राहुल उपाध्याय । 7 नवम्बर 2023 । सिंगापुर
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